हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर 4 मई 2018 को आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में नवीनीकृत डकोटा विमान को औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया।
इस विमान को चार दशक से भी ज्यादा समय पहले वायु सेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। इसे अब नया नाम 'परशुराम' दिया गया है । राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने इस डकोटा डीसी-3 वीपी-905 विमान को कबाड़ से खरीदकर ब्रिटेन में नवीनीकृत कराया है।
कार्यक्रम में राजीव चंद्रशेखर के पिता एयर कोमोडोर (सेवानिवृत्त) एमके चंद्रशेखर के हाथों चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल बीएस धनोआ ने विमान की चाबियां ग्रहण कीं। इस मौके पर धनोआ ने डकोटा को भारतीय
वायु सेना के इतिहास का विशेष विमान बताते हुए कहा कि ब्रिटेन से भारत की यात्रा ने इस विमान की विश्वसनीयता और मजबूती को साबित कर दिया है।
कार्यक्रम में राजीव चंद्रशेखर के पिता एयर कोमोडोर (सेवानिवृत्त) एमके चंद्रशेखर के हाथों चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल बीएस धनोआ ने विमान की चाबियां ग्रहण कीं। इस मौके पर धनोआ ने डकोटा को भारतीय
वायु सेना के इतिहास का विशेष विमान बताते हुए कहा कि ब्रिटेन से भारत की यात्रा ने इस विमान की विश्वसनीयता और मजबूती को साबित कर दिया है।
क्या है
1. विमान ने 17 अप्रैल को ब्रिटेन से भारत के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी । इसके चालक दल में भारतीय वायु सेना के अलावा 'रीफ्लाइट एयरवर्क्स'के सदस्य भी शामिल थे।
2. 9,750 किमी की यात्रा में इस विमान ने फ्रांस, इटली, ग्रीस, जॉर्डन, बहरीन व ओमान में ठहराव लिया और 25 अप्रैल को जामनगर स्थित एयर फोर्स स्टेशन पहुंचा। रक्षा मंत्री की विशेष अनुमति से एयर कोमोडोर (सेवानिवृत्त) एमके चंद्रशेखर ने भी 26 अप्रैल को जामनगर से हिंडन एयर फोर्स स्टेशन तक इस विमान में यात्रा की।
3. परिवहन विमान (कार्गो प्लेन) डकोटा को 1930 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। इसने द्वितीय विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
4. वर्ष 1947 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी इसने अहम भूमिका अदा की थी। 1947 के युद्ध में भारत की जीत और कश्मीर की सुरक्षा में इसका योगदान अद्वितीय था। युद्ध के दौरान यह सेना की एक टुकड़ी को जम्मू-कश्मीर लेकर गया, जिसने पुंछ से हमलावरों को खदेड़ दिया।
5. वायुसेना अधिकारियों के अनुसार डकोटा पूरी तरह कबाड़ हो चुका था। इसकी मरम्मत के लिए इसे ब्रिटेन भेजा गया। जहां करीब छह साल तक इसकी मरम्मत होती रही और इसका सारा खर्च उठाया राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने। इसके बाद उन्होंने इसे वायुसेना को भेंट किया है। राजीव के पिता एयर कमोडोर एमके चंद्रशेखर डकोटा के पायलट थे। अधिकारियों के मुताबिक डकोटा का नंबर अब भी वीपी 905 होगा जो 1947 के युद्ध में
जम्मू-कश्मीर भेजे गए पहले डकोटा विमान का भी नंबर था।
जम्मू-कश्मीर भेजे गए पहले डकोटा विमान का भी नंबर था।
विमान की मुख्य विशेषताएं
1. 21-32 यात्रियों की क्षमता2. 64 .8 फीट (19.7 मीटर) लंबाई
3. 95.2 फीट पंख की चौड़ाई
4. 16.11 फीट ऊंचाई
5. 7, 650 किलोग्राम वजन
6. 3736 लीटर ईंधन क्षमता
7. 1100 हॉर्स पावर एयर कूल्ड रेडियल पिस्टल इंजन
8. 370 किलोमीटर प्रतिघंटा अधिकतम गति
9. 333 किलोमीटर प्रतिघंटा सामान्य गति